Friday, 25 January 2008

Mothertongue Outlet

वाह अब मैं हिन्दी में लिख सकता हूँ ! (Wow I can now write in Hindi!)

तुमको देखा तो यह ख़याल आया
ज़िंदगी धुप, तुम घना साँया ...

No comments: